मैं मुस्कुरा भी दूं अगर
तो क्या होगा
सच के ऊपर
झूठ ही तो जड़ा होगा
उनकी हंसी तो हर दिल को
अमीर बनाती है
वो उदास रहे गर
तो ग़रीब सारा मआशरा होगा
माना उनके देखे से
चेहरे पे आ जाएगी रौनक़
पर मेरा ज़ख़्म जो पहले था
तब भी तो हरा होगा
मेरी ख़ामियां भी गर
उनकी अदा बन जाए
तो फिर यक़ीं जानो
कोई नया ही माजरा होगा
मैं क्या! मेरी तो यूंही
गुज़र जाएगी 'आवाज़'
दुःख ये है कि तक़ल्लुफ़ में
कोई ख़ुद ही फ़ना होगा
'आवाज़'
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