Monday, March 5, 2018

मैं मुस्कुरा भी दूं अगर



मैं मुस्कुरा भी दूं अगर 
तो क्या होगा 
सच के ऊपर 
झूठ ही तो जड़ा होगा 

उनकी हंसी तो हर दिल को 
अमीर बनाती है 
वो उदास रहे गर 
तो ग़रीब सारा मआशरा होगा 

माना उनके देखे से 
चेहरे पे आ जाएगी रौनक़ 
पर मेरा ज़ख़्म जो पहले था 
तब भी तो हरा होगा 

मेरी ख़ामियां भी गर 
उनकी अदा बन जाए 
तो फिर यक़ीं जानो 
कोई नया ही माजरा होगा 

मैं क्या! मेरी तो यूंही 
गुज़र जाएगी 'आवाज़'
दुःख ये है कि तक़ल्लुफ़ में 
कोई ख़ुद ही फ़ना  होगा 


              'आवाज़'


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