Thursday, January 25, 2018

धुंधली तस्वीर


तस्वीर धुंधली हो
तो ख़ुश दिख जाता हूं मैं 
वरना कभी-कभी तो 
ख़ुद से ही छुप जाता हूं मैं 

तारीकियां अक्सर डराती हैं 
लोगों को तन्हाई में 
पर इन रातों में 
सुकूं से आंसू बहाता हूं मैं 

लम्हों को जितनी ज़ोर से बांधूं 
उतनी तेज़ी से फिसल जाते हैं 
इसलिए इन्हें आज़ाद छोड़ता हूं 
और जी भर जी जाता हूं मैं 

ज़ुबां छोटी ही सही पर 
असर बहुत गहरा छोड़ती है 
इसलिए जब भी कुछ बोलता हूं 
पहले, कई बार सोचता हूं मैं 

जब बोलता हूं
मीठी हो, कोशिश होती है 
किसी का दिल दुखे 
ये नहीं चाहता हूं मैं 

मैं भी इंसान हूं 
ग़लतियां मुझसे भी होती हैं 
पर हुई गर ख़ता कभी तो 
माफ़ी भी मांगता हूं मैं 

कभी याद आए तुम्हारी 
तो सदक़े निकाल देता हूं
रिश्ते ही मेरी पूंजी हैं, ये दौलत 
यूं ही गंवा नहीं सकता हूं मैं 

दिल की सुनकर 'आवाज़'
घबरा सा जाता हूँ मैं 
उम्र की नाज़ुक डोरी को 
नहीं थाम सकता हूं मैं 
                                                      'आवाज़'                 



Wednesday, January 24, 2018

कोई नज़र तान के यूं बैठा है

कोई नज़र तान के यूं बैठा है 
जैसे तीर जिगर के पार जाएगा 
इधर दिल सोच रहा है यूं भी 
रहम कुछ तो उन्हें, मुझपे आएगा 

होता है इश्क़ में दिल मासूम यूं भी 
पालते हैं ख़्याल, कुछ नादान यूं भी 
यही अदा इश्क़ में रंग भरती है वरना 
ख़ुद को क्यूं खो बैठे, कोई होशमंद यूं भी 

न समझे हैं, ना समझेंगें कभी होशवाले 
जज़्बात की भी अपनी इक जुबां होती है 
आँखों से पहुंचती है दावत-ए-हुस्न और 
बातों से लज़्ज़त-ए-इश्क़ पता लगती है 

गर सुननी है रज़ामंदी-ए-हुस्न ऐ 'आवाज़'
तो चलो दिल की गहराईयों तक उतरते हैं 
ऊपर ऊपर तो उथल-पुथल रहती है अक्सर 
वहां पहुंचते हैं, थमते हैं, फिर उनकी हां सुनते हैं 

                                                                                                                        'आवाज़'

Monday, January 22, 2018

तेरा रंग ओढ़ने को


तेरा रंग मुझपे ओढ़ने को 
मैंने रंग खुद का बदला है 
ये अदा मेरी नहीं है 
ये ढंग मेरे दिल का है 

तू मेरा ख़्याल है 
तू ही एहसास मेरा 
तू ही सोच मेरी 
तू ही अल्फ़ाज़ मेरा 

तुझे मैं लिखूं , तुझे मैं पढूं 
तुझे मेरे दिल में सजाऊं मैं 
गर ऐसा हुआ तो, ये दिल ग़ज़ल 
और शायर ना बन जाऊं मैं

मेरी बातों से जो तेरे
चेहरे का रंग बदल जाता है 
तेरी क़सम फिर से 
वही पहला प्यार हो जाता है 

तेरी आँखों की वो शीरीं ज़ुबां 
जब यूं निगाहों तक पहुंच जाती है 
नज़रों में इक अजीब सी ख़ुमारी 
और कानों में मिश्री सी घुल जाती है 

तेरी अदा खुशबू बन कर 
मेरे ख़्यालों को महका जाती है 
यादों की वो सुंदर बगिया 
और भी हसीन हो जाती है 

तेरी यादें ज्यों ज्यों पुरानी हुईं 
नशा इसका और बढ़ता गया 
मन दीवानों सा झूमता रहा 
और वक़्त हाथों से फिसलता गया 

तू ही बता तेरी किन किन अदाओं को 
अब ये आवाज़ सजाया करे 
जब तू ही मेरा आग़ाज़, तू ही अंजाम है 
तो फिर ये दिल तुझे, कैसे भुलाया करे-२ 

                                                             'आवाज़'

Sunday, January 21, 2018

मैं मुझमें रहूं

मैं मुझमें रहूं, तो ये जहां अच्छा लगता है 
तू और तेरा साथ मुझको सच्चा लगता है 
ज़िन्दगी की राहें जितनी भी हों पथरीली 
हमसफ़र तू हो, तो हसीं हर रास्ता लगता है 

मैं मुझ सा रहूं तुम्हारी भी यही चाहत होगी 
राहों को तन्हा ना सहूं, गर इजाज़त दोगी 
तुम ज़रुरत हो मेरी, और मैं आदत तुम्हारी 
एक दूजे बिना दोनों को कहां राहत होगी 

मैं खुद से मिलूं जब-जब तेरा दीदार हो 
बिन तेरे मैं, मैं न रहूं, ये मुझको इक़रार हो 
तू मौज है मेरे दरिया की, साहिल भी तू 
मन में जो तूफ़ान उठे, फिर तू ही क़रार हो 

तेरी सादगी में ये क्या कशिश है 'आवाज़'
जो हुस्न भी तुझपे यूं दीवानावार हुआ 
सबकी ज़िन्दगी का हसीं सौग़ात बना तू 
और तेरी मुस्कान का हर इंसा आग़ाज़ हुआ 

                                                         'आवाज़'

Friday, January 19, 2018

Thursday, January 18, 2018

phir se mohabbat

इस दिल को फिर से मोहब्बत हो गयी 
ख़ाहमख़ा, यूं ही इससे ज़हमत हो गयी 
ये परिंदा, उम्र के पिंजरे में कसता नहीं 
बेवजह किसी, एक सीने में धड़कता नहीं 
इसलिए 
इस दिल को फिर से मोहब्बत हो गयी 
                                                     'आवाज़'

Tuesday, January 16, 2018

Surkh Lab

अब तू ही बता 
इन सुर्ख़ लबों को क्या नाम दूँ 
जाम-ए हयात कहूं या 
पंखुड़ी-ए -गुलाब कहूं 
                            'आवाज़' 

Asar

तू आए तो मैं खुद पे तेरा असर देख लूं 
तू सामने हो, मैं ख़ुद को बेसबर देख लूं 
                                              'आवाज़'

Nishaan...

ना हम होंगे कल, ना अपना निशां होगा 
ना ज़िक्र होगा कहीं, ना कोई बयां होगा 
अपनी राहों में प्यार की लौ जला लो वरना
इधर तन्हा हम होंगे, उधर सारा कारवां होगा 
                                                             'आवाज़'

Monday, January 15, 2018

Qurbani

ख़ुदा को क़ुर्बानी निहायत पसंद है 
चलो माँ-बाप के ख़्वाबों को पूरा कर लें 
कुछ अपने दिल की फ़ना कर लें 
कुछ  उनकी ख़्वाहिशों  की अदा कर लें 
                                          'आवाज़' 

Sunday, January 14, 2018

Wah Wahi...!!

अब बातों में मेरी गहराई मिलती है 
कभी कभी वाह-वाही मिलती है 
किसी के दिल तक पहुँच पाती हो शायद 
गर पहुँच भी गई तो रुस्वाई मिलती है 
                                                  'आवाज़'

Maya

माया:

यहां तो 'माया' भी हैरान है 
 स्तब्ध है परेशान है 
उसने बस लालच भरी थी मानव मन में 
यहां तो इंसान, बन बैठा हैवान है 
                                                   'आवाज़'

Saturday, January 13, 2018

Friday, January 12, 2018

Saadagi

सादा है रंग मेरे लिबास का 
सादा ही ढंग मेरे मिज़ाज का 
सादगी जब क़यामत की अदा है यारों
तो बाक़ी रंग मेरे किस काम का 
                                                 'आवाज़'

Thursday, January 11, 2018

Imtehan

ज़िन्दगी कुछ भी नहीं इम्तेहां के सिवा 
तो फिर सवालों से हमें गिला क्यूं है 
जो पाया है उसकी तो खुशियां मना लें 
जो खोया है उसी का हमें रोना क्यूं है 
                                                 'आवाज़'

Wednesday, January 10, 2018

Yaqeen Chahiye


न ज़र चाहिए मुझको, ना ज़मीं चाहिए 
बस ख़ुद पे मुझको, थोड़ा यक़ीं चाहिए 
नफ़रतों की इन तल्ख़ फ़िज़ाओं में अब 
ज़ुबां अपनी थोड़ी और शीरीं चाहिए 
                                                     'आवाज़'

ILZAAM

न खुद पे ना खुदाई को ही इल्ज़ाम दे 
दर्द-ओ-ग़म का सिलसिला है, इसे रहने दे 
मुस्तक़िल कब कुछ रहा है जो ये ठहरेंगे 
शाद-ओ-ग़म तो मेहमां हैं आएंगे गुज़र जाएंगे 
                                                                      'आवाज़'

Monday, January 8, 2018

Winter Ke Funde





Winter के भी भाई अजीब ही फंडे हैं 
Every Morning looks like SUNDAY हैं  
                                                                          'आवाज़'

Kya khoob


Sunday, January 7, 2018

shauq

वाह! क्या शौक़ हमने पाला है 
आज़ाद परिंदे को पिंजरे में डाला है 
                                                     'आवाज़'

Thursday, January 4, 2018

sukoon


दिल को उनके' सुकून मिले अगर 
धो लें वो अपने नफरत के दामन हमसे 
हम तो बहते पानी हैं, हमें क्या 
चंद क़दम दूर चले और पाक हो गए
                                                     'आवाज़'