चलो नीले आकाश तले
हरे फर्श पे यूं बिछ जाएं हम
अपने ख़्यालों की दुनिया को
बादलों से सजाएं हम
तितलियों के पर लगा के
उसी आसमान में उड़ जाएं हम
कुछ तुम सुनाओ अपने दिल की
और कुछ अपनी तुम्हें सुनाएं हम
यूंही बचपन को मन की
आंगन में बुलाएं हम
जहां धूप न जला पाई हमको
कभी बारिश में भी
न रुक पाए हम
ठिठुरती सर्दी को भी
चुटकी में छकाएं हम
वो भी क्या दौर था
जब चट्टानों को खुद में पाए हम
ज़िद्द हमारा दाना पानी
मस्ती को निवाला बनाए हम
अब न वो दिन ठहरा
न रातें ही सो पाएं हम
पहले सा मौसम अब बिसरा
पल में जिसमें महक जाएं हम
वहां अब्र (बादल) न थे धुआं वाले
तीखी शोर न गाड़ियों की
यादों में ही सही, पर आओ
ज़हरीली हवा से बच जाएं हम
जहां चाल होगी
कुछ मद्धम-मद्धम
पर ज़िन्दगी सुहानी पाएं हम
सब रिश्ते होंगे अपने-अपने
एक दिल में सब बस जाएं हम
जो छूट गए सदियों पीछे
चलो मिलके 'आवाज़' लगाएं हम
उन एहसासों को ज़िंदा कर के
फिर से बचपन को जी जाएं हम
'आवाज़'
हरे फर्श पे यूं बिछ जाएं हम
अपने ख़्यालों की दुनिया को
बादलों से सजाएं हम
तितलियों के पर लगा के
उसी आसमान में उड़ जाएं हम
कुछ तुम सुनाओ अपने दिल की
और कुछ अपनी तुम्हें सुनाएं हम
यूंही बचपन को मन की
आंगन में बुलाएं हम
जहां धूप न जला पाई हमको
कभी बारिश में भी
न रुक पाए हम
ठिठुरती सर्दी को भी
चुटकी में छकाएं हम
वो भी क्या दौर था
जब चट्टानों को खुद में पाए हम
ज़िद्द हमारा दाना पानी
मस्ती को निवाला बनाए हम
अब न वो दिन ठहरा
न रातें ही सो पाएं हम
पहले सा मौसम अब बिसरा
पल में जिसमें महक जाएं हम
वहां अब्र (बादल) न थे धुआं वाले
तीखी शोर न गाड़ियों की
यादों में ही सही, पर आओ
ज़हरीली हवा से बच जाएं हम
जहां चाल होगी
कुछ मद्धम-मद्धम
पर ज़िन्दगी सुहानी पाएं हम
सब रिश्ते होंगे अपने-अपने
एक दिल में सब बस जाएं हम
जो छूट गए सदियों पीछे
चलो मिलके 'आवाज़' लगाएं हम
उन एहसासों को ज़िंदा कर के
फिर से बचपन को जी जाएं हम
'आवाज़'
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