Friday, March 23, 2018

हम बिखर जाएंगे



तजुर्बा-ए-हुस्न 
यह कहता है हमें 
ना खोलो गिरहें 
कि हम बिखर जाएंगे 

जी लेंगे प्यार के 
इक-तरफ़ा पहलू को भी 
ना कह दिया गर उसने 
तो फिर हम किधर जाएंगे 

दर्द में मिठास 
ऐसे ही मिलता है मगर 
दिल टूटे तो, हर टुकड़े में 
दिलबर ही नज़र आएंगे 

मुझसे बिछड़कर, वो ख़ुश हैं 
ये खबर है हमें 
यही बात वो जान लें 
तो वो कैसे जी पाएंगे 

दिल और चेहरे का 
याराना न रहे तो अच्छा है 
उन्हें चेहरा पढ़ना आता है 
सारे हालात वो समझ जाएंगे 

मुस्कुराहट का मतलब 
हर बार ख़ुशी नहीं होता 
फिर भी हज़ारों सवाल 
इक मुस्कान में दब जाएंगे

इक बेवफ़ाई से दिल 
सुना है संभल जाता है
फिर भी उतर आए कोई 
तो क्या हम बदल जाएंगे 

वो जहाँ भी रहें 
शाद-ओ-आबाद रहे 'आवाज़'
दर्द जितना भी हो दिल में, मगर 
ज़ुबाँ पर उनके लिए, हम दुआ लाएंगे 

                                                                    'आवाज़'


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