Friday, October 20, 2017

चेहरे की इबारत

चेहरे की इबारत 



चेहरे की इबारत को छुपा लेना जग से 
इसकी लाली  से जल जाता है जहाँ अकसर
बातूनी हैं आँखें, इन्हें ढक लेना आँचल से
राज़ फ़ाश न हो जाएं तेरे नैनो की चमक से

मुलाक़ात खबर बन जाए तो क़यामत समझूं
मोहब्बत में असर आ जाए तो नज़ाक़त समझूं
दुनिया को अदावत है फ़क़ीरी-ए-मोहब्बत से
तुझसे  झोली मेरी भर जाए, तो इबादत समझूं 

आंखों से उतर आया था, कोई मेरे दिल में 
 मैं खारा समंदर था, वो प्यासा मेरे साहिल पे 
उसकी छुअन ने मुझे मीठा नीर बना डाला
ग़म के समंदर को मुकम्मल शरीर बना डाला

अब वो मेरी आदत हुई और मैं मजबूर ख़ुद से
मैं तदबीर हुआ मेरा और जुड़ी तक़दीर उससे
यहां वक़्त भी उल्टे पांव चलने लगा है अब तो
जितना पास था पहले, अब कहीं दूर हूं उससे
                                                                   'आवाज़'

Thursday, October 12, 2017

मोहलत दे दे

मोहलत दे दे


बरसों से तेरी यादों में उलझा हूं 
ज़रा मुझको अब तू मोहलत दे दे 
मेरा 'ख़ुद' अब मुझको पराया कहता है 
मुझसे मिलने की, मुझको ये सहूलत दे दे  

धड़कनें अकसर तेरा ही नाम लेती हैं 
धड़कती दिल में मेरे हैं, पर तेरे पास रहती हैं 
खबर है, उस दम गवारा तुझको न होगा 
पर भला होगा तेरा, गर मुझे तू अदावत दे दे 

 धड़कनों से दूर खुद का नज़ारा हमने देखा है 
इस दिल के हाथों खुद को बेचारा हमने देखा है 
मगर आसां होगी मुश्किल, इशारा तू अगर कर दे 
अपने हाथों से सीने में, मेरा दिल तू अगर धर दे 

मेरा खुद ये कहता है, क़ुसूर दिल का नहीं इसमें 
ये साज़िश है तेरी दिलबरी और बेबाक मुहब्बत की 
तो अपने हुस्न को मेरे 'खुद' का ये पैग़ाम तू दे दे 
लगा कर याद पे पहरा, इसे अंजाम तू दे दे


- "आवाज़"
12/10/2017