Saturday, March 17, 2018

हसीं पैग़ाम लिखें

ऐ दिल तू भी चल 
ख़्यालों की इक दास्तान लिखें 
मेहबूब को मुहब्बत भरा 
कुछ हसीं पैग़ाम लिखें

आग़ाज़-ए-उल्फ़त 
हो मेरी उससे 
फिर मेरे इश्क़ का 
उसे अंजाम लिखें

उसे ही मुहब्बत की 
हर सुब्ह तो 
उसी को धड़कनों की 
शाम लिखें

वो दिल की मलिका 
हो मेरी और 
ख़ुद को हम 
उसका ग़ुलाम लिखें

वो हमनवां हमदम है मेरा,
चलो अब उसे हमख़्याल लिखें 
चाहतों के इस सफर में उसे 
मेरा हमक़दम, हमज़बान लिखें

मेरी सांसों में जो ख़ुशबू है
उसे उसके नाम लिखें, 
उसके इश्क़ में इसी दम 
अपनी उम्र को नातमाम लिखें

दिल की बंजर ज़मीन पर 
उसे प्यार का गुलिस्तान लिखें 
तन्हाई की तपती धूप में 
घटाओं में लिपटा आसमान लिखें

जज़्ब-ए-दिल के हर हर्फ़ को 
सुर्ख लबों से उसके 
चलो कोरी धड़कनों पर 
सुरीली 'आवाज़' लिखें 

                               'आवाज़'

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