मेरी आँखों को पढ़ लेना तुम
दिल ने वरक़ आँखों को बनाया है
अल्फ़ाज़ हो सके शिक़वा करेंगे
पर उसका हक़ उससे दे देना तुम
हर पल उसी ने तो साथ निभाया है
सांसें भी कुछ उलझी उलझी सी हैं
पर इससे ना घबरा जाना तुम
इक मुद्दत हुई, जो हमने सुलझाया है
हम पास, हम और पास आएंगे
फिर यूंही मुझमें सिमट जाना तुम
इन दूरियों ने हमें बहुत तड़पाया है
'आवाज़'
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