Thursday, February 22, 2018

तू बेगाना हुआ

जब से तू 
मुझ से बेगाना हुआ 
मेरा अपना 
ये सारा ज़माना हुआ, 
ज़िंदगी के सुर 
गिर गए थे जिस दम 
उस पल मौसिक़ी मेरा 
वीराना हुआ,
सुरों की तलाश में 
सदियों फिरा दर-बदर 
बस कुछ नहीं 
वक़्त का आज़माना हुआ 
जुड़े सुर सभी 
जब नए सिरे से 
जीवन मेरा मानो 
फिर से तराना हुआ  

मैंने यूं गाईं 
ज़िंदगी की हसीं ग़ज़लें 
कहानी जो थी पहले 
वो अब अफ़साना हुआ 
जो आपा-धापी में 
बीत गया था 
वही मौसम अब 
आशिक़ाना हुआ. 

ये दिल मेरा 
थोड़ा शायर मिज़ाज है 
झुकी पलकों के उठते ही 
देखो कैसा शायराना हुआ 
ग़ज़ब तो ये है कि कल 
किसी और के नाम से धड़कता था 
आज ये खुद ही 
मेरा दीवाना हुआ 
अब आइना भी देख कर 
कहने लगा है मुझे 
चेहरा तो है 
कुछ पहचाना हुआ 

शुक्र है जो दिल,
चंचल पंछी था मेरा 
कभी इस डाल 
तो कभी उस डाल, मगर 
आज़ाद आसमान में परवाज़ 
अब तो गुज़रा ज़माना हुआ 
लौट कर कितना सुकून मिलता है 
ख़ुद के मकान में 'आवाज़'
ये झोपड़ा भी मेरा 
अब दिलकश आशियाना हुआ

                                             'आवाज़'

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