Thursday, January 25, 2018

धुंधली तस्वीर


तस्वीर धुंधली हो
तो ख़ुश दिख जाता हूं मैं 
वरना कभी-कभी तो 
ख़ुद से ही छुप जाता हूं मैं 

तारीकियां अक्सर डराती हैं 
लोगों को तन्हाई में 
पर इन रातों में 
सुकूं से आंसू बहाता हूं मैं 

लम्हों को जितनी ज़ोर से बांधूं 
उतनी तेज़ी से फिसल जाते हैं 
इसलिए इन्हें आज़ाद छोड़ता हूं 
और जी भर जी जाता हूं मैं 

ज़ुबां छोटी ही सही पर 
असर बहुत गहरा छोड़ती है 
इसलिए जब भी कुछ बोलता हूं 
पहले, कई बार सोचता हूं मैं 

जब बोलता हूं
मीठी हो, कोशिश होती है 
किसी का दिल दुखे 
ये नहीं चाहता हूं मैं 

मैं भी इंसान हूं 
ग़लतियां मुझसे भी होती हैं 
पर हुई गर ख़ता कभी तो 
माफ़ी भी मांगता हूं मैं 

कभी याद आए तुम्हारी 
तो सदक़े निकाल देता हूं
रिश्ते ही मेरी पूंजी हैं, ये दौलत 
यूं ही गंवा नहीं सकता हूं मैं 

दिल की सुनकर 'आवाज़'
घबरा सा जाता हूँ मैं 
उम्र की नाज़ुक डोरी को 
नहीं थाम सकता हूं मैं 
                                                      'आवाज़'                 



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