awaz ki ghazal
Wednesday, January 10, 2018
ILZAAM
न खुद पे ना खुदाई को ही इल्ज़ाम दे
दर्द-ओ-ग़म का सिलसिला है, इसे रहने दे
मुस्तक़िल कब कुछ रहा है जो ये ठहरेंगे
शाद-ओ-ग़म तो मेहमां हैं आएंगे गुज़र जाएंगे
'आवाज़'
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