तू और तेरा साथ मुझको सच्चा लगता है
ज़िन्दगी की राहें जितनी भी हों पथरीली
हमसफ़र तू हो, तो हसीं हर रास्ता लगता है
मैं मुझ सा रहूं तुम्हारी भी यही चाहत होगी
राहों को तन्हा ना सहूं, गर इजाज़त दोगी
तुम ज़रुरत हो मेरी, और मैं आदत तुम्हारी
एक दूजे बिना दोनों को कहां राहत होगी
मैं खुद से मिलूं जब-जब तेरा दीदार हो
बिन तेरे मैं, मैं न रहूं, ये मुझको इक़रार हो
तू मौज है मेरे दरिया की, साहिल भी तू
मन में जो तूफ़ान उठे, फिर तू ही क़रार हो
तेरी सादगी में ये क्या कशिश है 'आवाज़'
जो हुस्न भी तुझपे यूं दीवानावार हुआ
सबकी ज़िन्दगी का हसीं सौग़ात बना तू
और तेरी मुस्कान का हर इंसा आग़ाज़ हुआ
'आवाज़'
Sopab👌👌👏
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