तेरा रंग मुझपे ओढ़ने को
मैंने रंग खुद का बदला है
ये अदा मेरी नहीं है
ये ढंग मेरे दिल का है
तू मेरा ख़्याल है
तू ही एहसास मेरा
तू ही सोच मेरी
तू ही अल्फ़ाज़ मेरा
तुझे मैं लिखूं , तुझे मैं पढूं
तुझे मेरे दिल में सजाऊं मैं
गर ऐसा हुआ तो, ये दिल ग़ज़ल
और शायर ना बन जाऊं मैं
मेरी बातों से जो तेरे
चेहरे का रंग बदल जाता है
तेरी क़सम फिर से
वही पहला प्यार हो जाता है
तेरी आँखों की वो शीरीं ज़ुबां
जब यूं निगाहों तक पहुंच जाती है
नज़रों में इक अजीब सी ख़ुमारी
और कानों में मिश्री सी घुल जाती है
तेरी अदा खुशबू बन कर
मेरे ख़्यालों को महका जाती है
यादों की वो सुंदर बगिया
और भी हसीन हो जाती है
तेरी यादें ज्यों ज्यों पुरानी हुईं
नशा इसका और बढ़ता गया
मन दीवानों सा झूमता रहा
और वक़्त हाथों से फिसलता गया
तू ही बता तेरी किन किन अदाओं को
अब ये आवाज़ सजाया करे
जब तू ही मेरा आग़ाज़, तू ही अंजाम है
तो फिर ये दिल तुझे, कैसे भुलाया करे-२
'आवाज़'
Ati sundar👌
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