awaz ki ghazal
Thursday, January 11, 2018
Imtehan
ज़िन्दगी कुछ भी नहीं इम्तेहां के सिवा
तो फिर सवालों से हमें गिला क्यूं है
जो पाया है उसकी तो खुशियां मना लें
जो खोया है उसी का हमें रोना क्यूं है
'आवाज़'
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