awaz ki ghazal
Thursday, January 18, 2018
phir se mohabbat
इस दिल को फिर से मोहब्बत हो गयी
ख़ाहमख़ा, यूं ही इससे ज़हमत हो गयी
ये परिंदा, उम्र के पिंजरे में कसता नहीं
बेवजह किसी, एक सीने में धड़कता नहीं
इसलिए
इस दिल को फिर से मोहब्बत हो गयी
'आवाज़'
1 comment:
Kalpana
January 19, 2018 at 9:16 PM
Lajawaab👏
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