लहरों से हवाओं का मिलन...
लहरों से हवाओं का मिलन, उसको उछाल देता है
ख़ामोशी के सीने से, चैन-ओ-क़रार निकाल देता है
लहरों से हवाओं का मिलन...
एक लहर मेरे सीने में भी उठी थी
उठते ही मुझसे मेरे दिल की पूछी थी
आज से पहले तू किसके लिए धड़का था
नज़रों में सच, जुबां से निकली वो बात झूठी थी
लहरों से हवाओं का मिलन...
समंदर के सीने में बेताबियाँ सी भर दी थी
हवाओं की जुर्रत देखो, हद को पार कर दी थी
पर साँसों को संभालना, हमने सीखा है उनसे
जो हवाओं से मिलकर लहरों को जन्म देती थी
लहरों से हवाओं का मिलन...
कुछ राज़ हैं ऐसे जिसे सीने में छुपाना अच्छा है
ये ख्वाब हैं सारे, यही उनको बताना अच्छा है
वरना सच भी एक वक़्त में, झूठा सा नज़र आता है
बुरा होगा तब, जब झूठ भी लगने लगे सच्चा है
लहरों से हवाओं का मिलन, उसको उछाल देता है
ख़ामोशी के सीने से, चैन-ओ-क़रार निकाल देता है
"आवाज़"
Khubsoorat....sach hai, lehron se hawahon ka milan, ek khubsoorat ehsaas deta hai...
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