चलो फिर बच्चे बन जाएं
चलो फिर बच्चे बन जाएं
चलो फिर बच्चे बन जाएं
देखो माली चाचा नहीं हैं
चलो फिर से अमिया, शरीफा, इमली चुराएं
देखो अम्मी अभी मशगूल हैं
चलो बैट निकालें, और दो दो हाथ आज़माएं
चलो फिर बच्चे बन जाएं
देखो टिफ़िन टाइम होने वाला है
चलो लंच करें, फिर से खट्टे चूरन चबाएं
देखो सर भी तो क्लास में नहीं आए
चलो फिर से, अंताक्षरी की महफ़िल सजाएं
चलो फिर बच्चे बन जाएं
देखो बारिश होने वाली है
चलो घर वालों से, फिर कोई बहाना बनाएं
तेज़ हवा चलने वाली है
चलो बाग़ से बेर क़दम अमरुद लूट लाएं
चलो फिर बच्चे बन जाएं
देखो हम फिर से बड़े हो रहे हैं
बढ़ते बढ़ते हम, शायद कुछ डर रहे हैं
क्या बढ़ने से बचपना खो जाएगा फिर से ?
क्या मन से मासूमियत गुम हो जाएगी फिर से?
ऐसा है, तो मुझे बच्चा ही दो
सपना ही सही, मुझे इसमें ही जीने दो
"आवाज़"
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