awaz ki ghazal
Friday, April 13, 2018
इक बूंद ख़ुशी की
इक बूंद ख़ुशी की
समंदर में लहरें जगा गयी
ग़म का जो गिरे क़तरा अगर
सोचो फिर क्या तूफ़ान हो
'आवाज़'
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