चाँद पूरा हो फ़लक पे
या छुप जाए बादल में
दिखता उसमें सनम मेरा
दिल की ये चाहत ही तो है
घने बादल हों छाये हुए
ज़ुल्फ़ों सी, हों लहराए हुए
जब अंधियारा सा छा जाए
फिर ये दिल शायर ही तो है
आँखों को झील मैं समझूं
होठों को पंखुड़ी गुलाब सी
गर्दन को सुराही कहे दिल
ये नज़र-ए-आशिक़ ही तो है
चाल है तेरी नागन सी
कोयल सी तेरी 'आवाज़' लगे
हिरनों सी लगे आंखें तेरी
ये दिल मेरा पागल ही तो है
'आवाज़'
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