बिन कुछ कहे तेरी गली से, कैसे मैं गुज़र जाऊं
खुद के पैरों में बेड़ियों सी, कैसे मैं जकड़ जाऊं
एहसास जब गवाही दे, तो कैसे मैं मुकर जाऊं
यादों की मोहक सूरत को, कैसे मैं बिसर जाऊं
बिन तेरे भी खुश रहूं, कहां से मैं वो जिगर लाऊं
मर के भी तुझे देखती रहे, कहां से वो नज़र लाऊं
दुनिया अब दरम्यां नहीं, कहां से मैं ऐसी खबर लाऊं
ख्यालों में बस तू गूंजे, मोहब्बत में कैसे ये असर लाऊं
तेरी 'आवाज़' हूं सुन लेना, यूंही हवा में जो बिखर जाऊं
तू खुशबू बन के साथ रहना, शायद फिर से मैं संवर जाऊं
"आवाज़"