अल्लाह तू मुझको...
अम्मी को उनकी खुशियां
चमकती सी जो दिखती थी, सितारों भरी रातें
अल्लाह तू मुझको, मेरा बचपन लौटा दे
अल्लाह तू मुझको, मेरा बचपन लौटा दे
छिन गई जो मुझसे, वो दौलत लौटा दे
अल्लाह तू मुझको, मेरा बचपन लौटा दे
अम्मी को उनकी खुशियां
सर का मेरे साया लौटा दे
खिलौनो की नहीं अपनों की ख़्वाहिश रही मुझे
अपनों के संग वो हँसता घर-आँगन लौटा दे
अल्लाह तू मुझको, मेरा बचपन लौटा दे
चमकती सी जो दिखती थी, सितारों भरी रातें
शबनम से नम, सुबह वाला बिस्तर लौटा दे
सूरज की किरणें जो कभी छेड़ती थी हमें
अम्मी की डांट से भरे वह लम्हें लौटा दे
अल्लाह तू मुझको, मेरा बचपन लौटा दे
खुले आँगन में वो जलता हुआ चूल्हा लौटा दे
लकड़ी के तिनकों में गुथा, वह पकौड़ा दिला दे
सूप में फटके चावल, गेंहूं की आवाज़ हो जहां
दुनिया सा लगता हुआ वो मोहल्ला लौटा दे
अल्लाह तू मुझको, मेरा बचपन लौटा दे
सर्दियों की धूप जब दिन भर ईद सी दिखती थी
मोहल्ले की औरतें, स्वेटर की एक्सहिबिशन लगाती थीं
खेल-कूद छोड़-छाड़ कर, बार बार जो अम्मी बुलाती थीं
कभी स्लीव्स तो कभी कमर से लंबाई नापती थीं
मोहल्ले की वो हलचल, धूप की क़िस्मत लौटा दे
अल्लाह तू मुझको, मेरा बचपन लौटा दे
छिन गई जो मुझसे, वो दौलत लौटा दे
अल्लाह तू मुझको, मेरा बचपन लौटा दे
"आवाज़"