ये हालात में सिमटे, ख़यालात में डूबे
जो अल्फ़ाज़ मैंने लिखे हैं
आप ने पढ़े, खुद से जोड़े
ये ग़ज़ल मेरी नहीं, अब आपकी है
मीठी याद से रोशन, एहसास से भीगे
जो ज्योत हमने जलाए हैं
आप ही जगे, उस रस्ते पे चले
ये मंज़िल मेरी नहीं, अब आपकी है
सूरज की तपिश, लम्हों की गर्दिश में
जो छांव हमने ढूंढी है,
आप आए हैं, लज़्ज़तें उठायीं हैं
ये परछाइयां मेरी नहीं, अब आपकी हैं
शबनमी रात, हवाओं से बात
जो चैन हमें दिलाए है
आपने साझा है, लुत्फ़ भी उठाया है
ये खुशियां मेरी नहीं, अब आपकी हैं
दिल के सवालात, इससे जन्में जज़्बात
हर सिम्त कुछ सजाए है,
अपने गले लगाए हैं, ख़ुद को बहलाए हैं
ये धड़कनें मेरी नहीं, अब आपकी हैं
'आवाज़'
जो अल्फ़ाज़ मैंने लिखे हैं
आप ने पढ़े, खुद से जोड़े
ये ग़ज़ल मेरी नहीं, अब आपकी है
मीठी याद से रोशन, एहसास से भीगे
जो ज्योत हमने जलाए हैं
आप ही जगे, उस रस्ते पे चले
ये मंज़िल मेरी नहीं, अब आपकी है
सूरज की तपिश, लम्हों की गर्दिश में
जो छांव हमने ढूंढी है,
आप आए हैं, लज़्ज़तें उठायीं हैं
ये परछाइयां मेरी नहीं, अब आपकी हैं
शबनमी रात, हवाओं से बात
जो चैन हमें दिलाए है
आपने साझा है, लुत्फ़ भी उठाया है
ये खुशियां मेरी नहीं, अब आपकी हैं
दिल के सवालात, इससे जन्में जज़्बात
हर सिम्त कुछ सजाए है,
अपने गले लगाए हैं, ख़ुद को बहलाए हैं
ये धड़कनें मेरी नहीं, अब आपकी हैं
'आवाज़'