Thursday, October 12, 2017

मोहलत दे दे

मोहलत दे दे


बरसों से तेरी यादों में उलझा हूं 
ज़रा मुझको अब तू मोहलत दे दे 
मेरा 'ख़ुद' अब मुझको पराया कहता है 
मुझसे मिलने की, मुझको ये सहूलत दे दे  

धड़कनें अकसर तेरा ही नाम लेती हैं 
धड़कती दिल में मेरे हैं, पर तेरे पास रहती हैं 
खबर है, उस दम गवारा तुझको न होगा 
पर भला होगा तेरा, गर मुझे तू अदावत दे दे 

 धड़कनों से दूर खुद का नज़ारा हमने देखा है 
इस दिल के हाथों खुद को बेचारा हमने देखा है 
मगर आसां होगी मुश्किल, इशारा तू अगर कर दे 
अपने हाथों से सीने में, मेरा दिल तू अगर धर दे 

मेरा खुद ये कहता है, क़ुसूर दिल का नहीं इसमें 
ये साज़िश है तेरी दिलबरी और बेबाक मुहब्बत की 
तो अपने हुस्न को मेरे 'खुद' का ये पैग़ाम तू दे दे 
लगा कर याद पे पहरा, इसे अंजाम तू दे दे


- "आवाज़"
12/10/2017

2 comments:

  1. Dilbar ki sahulat, ye adawat bhi de dein
    Uff ye bebaak muhabbat, seene mein tere dhar dein...

    Bahuuuutt hi khubsoooorat.

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  2. Behad khoobsurat rachna...aise gazal jeese baar baar paḍhne ko jee chahe or her baar utne he khoobsurat lage...master stroke��

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