Sunday, September 10, 2017

Humari Maa

जिसने कभी कोख में सजाया था हमको 
आज उसेअपने दिल में बसा लो तो अच्छा है 

हम जिसके जिगर के टुकड़े हैं अब भी 
उसे सीने से लगा लो तो अच्छा है 

अच्छा होगा अगर माँ के आंसू को गिरने न दो 
इस मिट्टी को,  सितम से बचा लो तो अच्छा है  

उसके होठों से दुआ बन के, जो हमारा कल निकलता है 
उसी कल में, माँ को अपनी खुशियां बना लो तो अच्छा है  

कभी उंगलियां थामीं, गोद में सफर तय किया हमने 
आज उन बाहों को  हाथों में जकड़ लो तो अच्छा है 

माँ है, जन्नत है उसके पांव तले 
उन क़दमों को डगमगाने से सम्भालो  तो अच्छा है  

जेब खाली थी जब, बिन कहे माँ को खबर होती थी 
आज भरी जेब से, माँ को कमा लो तो अच्छा है 

रातों को सीने पे रखकर, गीले बिस्तर से बचाया था हमें 
माँ की उस मोहब्बत को, इबादत बना लो तो अच्छा है 

तुम ग़ुरूर हो माँ का, ये समझते हैं हम भी 
अब माँ को अपनी मुक़द्दर बना लो तो अच्छा है 

जब भी ज़िक्र छिड़ता है, तो आंसू छलक जाते हैं 
माँ ही खुशियां हैं हमारी,  खुद को समझा लो तो अच्छा है

औरत माँ बनती है, तो उसकी दुनिया बदल जाती है 
औलाद बड़ी होकर, हाथों से ना फ़िसल पाए तो अच्छा है 

दुनिया जिससे चलती है, वो शय पैसा है 
माँ ने भी दौलत कहा था, 
ये हर औलाद समझ जाये तो अच्छा है 

हालां कि अधूरी है 'आवाज़' की ग़ज़ल  अब तक 
पर माँ की चाहत को मुकम्मल बना लो तो अच्छा है 

  
'आवाज़'

3 comments:

  1. Ye her aulaad samaz jaay to achha hai.....
    Is gazal ki tareef mai to her alfaaz chota lagta hai....jawaab nahi👏

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  2. Adorable.
    Naseehat se bharpooor..aaj bhari jeb se maa ko kamaalo toh achha hai...AllahSWT hidayt de hum sab ko Ameen ya Rabbi..

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  3. hmmmm...hun sab ki dua aur koshish poori ho...ye mere dil ke jazbaat the par ek message bhi har uss insan ke liye jo bhatak sa gaya...jo matlab ke waqt hi maa-baap ki qeemat lagaata hai...allah bachaye aisi soch se

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