awaz ki ghazal
Wednesday, April 11, 2018
खंडहर ना हुआ होता
हंसी हो सकते गर सारे लम्हात ज़िन्दगी के
तो दिल का महल, यहां खंडहर ना हुआ होता
रहता आज भी चहुं ओर चराग़-ए-हुस्न रोशन
दर्द का दिया यूं दिन-रात जल
ना
रहा होता
'आवाज़'
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