awaz ki ghazal
Tuesday, April 10, 2018
लफ़्ज़ों से खेल-खेल कर
लफ़्ज़ों से खेल-खेल कर
ख़ुद से ही खेल बैठा हूं मैं
जब भी कही अपने दिल की,
अदा से उसने वाह! कह दिया...
'आवाज़'
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